नकल प्रकरण की जांच हेतु नए आयोग का गठन, न्यायमूर्ति यू.सी. ध्यानी रहेंगे अध्यक्ष

Sep 28, 2025 - 08:30
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नकल प्रकरण की जांच हेतु नए आयोग का गठन, न्यायमूर्ति यू.सी. ध्यानी रहेंगे अध्यक्ष
नकल प्रकरण की जांच हेतु नए आयोग का गठन, न्यायमूर्ति यू.सी. ध्यानी रहेंगे अध्यक्ष

नकल प्रकरण की जांच हेतु नए आयोग का गठन, न्यायमूर्ति यू.सी. ध्यानी रहेंगे अध्यक्ष

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कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड राज्य सरकार ने स्नातक स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा-2025 में नकल के आरोपों की जांच हेतु एक एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया है, जिसके अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति यू.सी. ध्यानी होंगे।

देहरादून: उत्तराखंड राज्य सरकार ने स्नातक स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा-2025 में कथित नकल के आरोपों की सत्यता की जांच करने के लिए एक नए आयोग का गठन किया है। यह आयोग सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति यू.सी. ध्यानी (उच्च न्यायालय, नैनीताल) की अध्यक्षता में काम करेगा। इस निर्णय का उद्देश्य जनहित और लोकहित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

जांच आयोग का गठन

जांच आयोग के गठन की घोषणा करते हुए राज्य सरकार ने कहा कि आयोग को विभिन्न स्रोतों से प्राप्त शिकायतों, सूचनाओं और तथ्यों का गहराई से परीक्षण करने का अधिकार होगा। यह आयोग अन्य अधिकारियों और विशेषज्ञों से सहयोग भी ले सकेगा।

न्यायमूर्ति बी.एस. वर्मा की असमर्थता

पहले इस जांच की जिम्मेदारी न्यायमूर्ति बी.एस. वर्मा को सौंपी गई थी। हालांकि, उन्होंने निजी कारणों की वजह से इस भूमिका को निभाने से असमर्थता जताई। इसके बाद राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति यू.सी. ध्यानी को अध्यक्ष नियुक्त किया, जो अपने अनुभव के साथ इस मामले की गंभीरता को समझते हुए निष्पक्ष जांच करेंगे।

समस्या की जड़ें

ज्ञात हो कि 21 सितंबर 2025 को आयोजित परीक्षा के दौरान नकल की कई गंभीर शिकायतें आई थीं। इन आरोपों की गहनता को देखते हुए राज्य सरकार ने इस मामले की जांच आयोग अधिनियम, 1952 की धारा 3 के तहत न्यायिक जांच का निर्देश दिया है।

विशेष जांच दल का गठन

इस आयोग का काम संपूर्ण राज्य में फैले नकल के आरोपों की सत्यता की जांच करना होगा। इसके साथ ही, 24 सितंबर 2025 को गठित विशेष जांच दल (SIT) की आख्या का भी विश्लेषण कर आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करेगा।

आयोग की कार्यप्रणाली

राज्य सरकार ने अपेक्षा जताई है कि यह आयोग शीघ्रातिशीघ्र अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत करेगा। आयोग की कार्यवाही में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी, जिससे अभियुक्तों और गैर-अभियुक्तों के बीच भेद की जा सके।

जांच की इस प्रक्रिया से उम्मीद है कि नकल के आरोपों की जड़ें खत्म होंगी और भविष्य में ऐसे मामलों में सुधार आएगा। आयोग द्वारा की जाने वाली जांच न केवल नकल की समस्या को हल करने में मददगार सिद्ध होगी, बल्कि यह परीक्षा प्रक्रिया की विश्वसनीयता को भी बढ़ाएगी।

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टीम यंग्सइंडिया,
आरुशी सेन

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