हरिद्वार की चिकित्सा प्रणाली पर खतरा: पीपीपी मोड का विरोध, सरकारी संचालन की मांग
हरिद्वार की चिकित्सा प्रणाली पर खतरा: पीपीपी मोड का विरोध, सरकारी संचालन की मांग
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कम शब्दों में कहें तो, हरिद्वार में बन रहे राजकीय मेडिकल कॉलेज जगजीतपुर के संचालन को लेकर स्थानीय बीजेपी नेताओं द्वारा आवाज़ उठाई गई है। रानीपुर विधायक आदेश चौहान और हरिद्वार की मेयर किरण जैसल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर पीपीपी मोड का विरोध करते हुए राजकीय संचालन की मांग की है।
हरिद्वार मेडिकल कॉलेज का महत्त्व
हरिद्वार जिले में चिकित्सा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए जगजीतपुर में एक नया राजकीय मेडिकल कॉलेज स्थापित किया जा रहा है। यह कॉलेज केवल अपने क्षेत्र की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए नहीं, बल्कि आसपास के जिलों के लिए भी एक महत्वपूर्ण चिकित्सा केन्द्र बन सकता है।
स्थानीय नेताओं का विरोध
हाल ही में, रानीपुर विधायक आदेश चौहान और हरिद्वार की मेयर किरण जैसल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि इस मेडिकल कॉलेज का संचालन पूरी तरह से राज्य सरकार द्वारा किया जाए और इसे पीपीपी मोड में ना चलाया जाए। उनका कहना है कि पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड में संचालन करने से कॉलेज की गुणवत्ता और स्थानीय लोगों के लिए इसका लाभ प्रभावित हो सकता है।
क्या है पीपीपी मोड?
पीपीपी मोड एक ऐसा मॉडल है जिसमें सरकारी और निजी कंपनियों के बीच साझेदारी होती है। हालांकि, इस मोड के बहुत से लाभ हैं, लेकिन स्थानीय नेताओं को डर है कि निजी संस्थाओं का दखल सरकारी कॉलेज के उद्देश्यों को संदिग्ध बना सकता है।
स्थानीय निवासियों की सोच
स्थानीय निवासी भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। उनकी चिंता यह है कि यदि कॉलेज को निजी हाथों में सौंपा जाता है तो स्थानीय छात्रों को उचित अवसर नहीं मिलेंगे। वे चाहते हैं कि कॉलेज स्थानीय युवाओं के लिए योग्य चिकित्सा शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र बने।
मुख्यमंत्री का रुख
अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस पत्र का कैसे जवाब देते हैं और क्या स्थानीय नेताओं की आवाज़ सुनाई देती है। इससे सरकारी ठेकेदारी के क्षेत्र में भी एक नया बदलाव आ सकता है।
सरकार को चाहिए कि वह स्थानीय मांगों पर गम्भीरता से विचार करे ताकि इस नए मेडिकल कॉलेज का उद्देश्य वास्तविकता में सफल हो सके। अगर इस मुद्दे को नजरअंदाज किया गया, तो इससे बार-बार विवाद उठ सकते हैं जो कि शिक्षा प्रणाली और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए हानिकारक हो सकता है।
निष्कर्ष
हरिद्वार का यह मामला केवल एक कॉलेज का नहीं है, बल्कि संपूर्ण समुदाय की स्वास्थ्य सेवाओं का है। राज्य सरकार को स्थानीय नेताओं और निवासियों की चिंताओं का हल निकालना चाहिए ताकि एक प्रभावी चिकित्सा प्रणाली स्थापित हो सके।
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टीम यंग्सइंडिया
अवनि शर्मा
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