हरिद्वार: देवपुरा चौक पर कांग्रेसी नेताओं का पुतला दहन, धामी सरकार पर तीखा वार—कानून-व्यवस्था पर उठे सवाल

हरिद्वार: देवपुरा चौक पर कांग्रेसी नेताओं का पुतला दहन, धामी सरकार पर तीखा वार—कानून-व्यवस्था पर उठे सवाल
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कम शब्दों में कहें तो हरिद्वार के देवपुरा चौक पर महानगर कांग्रेस कमेटी ने मंगलवार को धामी सरकार का पुतला दहन कर कानून-व्यवस्था, प्रशासनिक जवाबदेही और आमजन की सुरक्षा को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। विपक्ष ने ठोस कार्रवाई, अपराध नियंत्रण और पारदर्शी शासन की मांग दोहराई।
घटना क्या थी, कहाँ और क्यों?
देवपुरा चौक—जो हरिद्वार का व्यस्ततम चौराहा माना जाता है—पर कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने राज्य में बढ़ते अपराध, महिलाओं की सुरक्षा, जमीन माफिया और स्थानीय स्तर पर लंबित मामलों को लेकर विरोध दर्ज किया। पुतला दहन के दौरान नेताओं ने आरोप लगाया कि प्रशासनिक ढांचे की सुस्त प्रतिक्रिया और समन्वय की कमी से लोगों में असुरक्षा बढ़ी है और शिकायतों के निस्तारण में देरी हो रही है।
किन मुद्दों पर उठा सवाल?
नेताओं ने कहा कि कानून-व्यवस्था में सुधार, थानों में समयबद्ध सुनवाई, संवेदनशील इलाकों में गश्त, सीसीटीवी कवरेज, और भर्ती-प्रणालियों में पारदर्शिता जैसे बिंदुओं पर ठोस रोडमैप जरूरी है। कीमतों में बढ़ोतरी और बेरोजगारी भी लोगों की चिंता का हिस्सा रही। कार्यकर्ताओं ने मांग की कि नाजुक मामलों की समयसीमा तय कर जवाबदेही सुनिश्चित की जाए और पीड़ितों को त्वरित राहत मिले।
ग्राउंड अपडेट: भीड़, ट्रैफिक और पुलिस व्यवस्था
प्रदर्शन के बीच सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस बल तैनात रहा। कुछ समय के लिए यातायात प्रभावित हुआ, जिसके बाद मार्ग डायवर्ट कर आवाजाही सामान्य की गई। स्थानीय व्यापारियों ने कानून-व्यवस्था के साथ-साथ सुचारु ट्रैफिक प्रबंधन की जरूरत पर भी जोर दिया ताकि कारोबार प्रभावित न हो।
सरकार का पक्ष—क्या कहा जा रहा है?
सरकारी हलकों में दावा है कि पुलिस प्रतिक्रिया समय कम करने, महिलाओं हेतु हेल्पलाइन को मजबूत करने और अपराध नियंत्रण के लिए तकनीक-आधारित निगरानी बढ़ाई गई है। भर्ती और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाने पर भी काम जारी होने की बात कही जाती है। हालांकि विपक्ष का तर्क है कि कागजों से आगे बढ़कर जमीनी असर दिखना चाहिए।
राजनीतिक अर्थ और आगे की राह
हरिद्वार का प्रतीकात्मक स्थान चुनकर विपक्ष ने संदेश दिया है कि जनता से जुड़े मुद्दों पर आक्रामक रुख जारी रहेगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक दक्षता अगले चुनावी विमर्श के केंद्र में रहेंगी। विशेषज्ञ कहते हैं—डेटा-ड्रिवन पुलिसिंग, थाने-स्तरीय प्रदर्शन सूचकांक और सामुदायिक पुलिसिंग जैसे कदम ही भरोसा लौटाने का रास्ता खोलते हैं।
निष्कर्ष—समाधान की कुंजी
विरोध और आश्वासन दोनों साथ-साथ चल रहे हैं, पर निर्णायक समाधान तभी संभव है जब शिकायतों का रिकॉर्ड-ट्रैकिंग, समयबद्ध निस्तारण और स्वतंत्र ऑडिट के जरिए जवाबदेही तय हो। हरिद्वार जैसे तीर्थ-पर्यटन शहर में सुरक्षा और सुगम आवागमन, दोनों अनिवार्य हैं। विस्तृत अपडेट्स और एक्सक्लूसिव कवरेज के लिए YoungsIndia पर भरोसा बनाए रखें।
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रिपोर्ट: नेहा वर्मा | टीम यंग्सइंडिया
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