श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में जेंडर सेंसिटाइजेशन पर संगोष्ठी का सफल आयोजन, समानता और समावेशिता का संदेश

Aug 26, 2025 - 00:30
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श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में जेंडर सेंसिटाइजेशन पर संगोष्ठी का सफल आयोजन, समानता और समावेशिता का संदेश
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में जेंडर सेंसिटाइजेशन पर संगोष्ठी का सफल आयोजन, समानता और समावेशिता का संदेश

श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में जेंडर सेंसिटाइजेशन पर संगोष्ठी का सफल आयोजन

कम शब्दों में कहें तो: 25 अगस्त 2025 को श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय में जेंडर सेंसिटाइजेशन विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें समावेशी और समान अवसरों वाले शिक्षण वातावरण का महत्व पर जोर दिया गया।

25 अगस्त 2025: श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के पी.टी. एल.एम.एस. परिसर, ऋषिकेश में "जेंडर सेंसिटाइजेशन: समावेशी और समान अवसर वाले शिक्षण वातावरण का निर्माण" विषय पर एक संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का उद्देश्य जेंडर समता और समावेशिता पर चर्चा करना था, ताकि छात्र और शैक्षणिक समुदाय एक समुचित शिक्षण वातावरण का निर्माण कर सकें।

संगोष्ठी की मुख्य बातें

इस संगोष्ठी में कई प्रमुख वक्ता शामिल हुए, जिन्होंने जेंडर सेंसिटाइजेशन और ट्रांसफॉर्मेटिव लर्निंग के विषय में अपने विचार व्यक्त किए। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि एक समावेशी क्षेत्र का निर्माण न सिर्फ शिक्षा के स्तर को ऊँचा करता है बल्कि समाज में जेंडर के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण भी विकसित करता है।

समावेशी वातावरण का महत्व

श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में आयोजित इस संगोष्ठी ने स्पष्ट रूप से यह बताने का प्रयास किया कि समावेशिता और समानता क्यों महत्वपूर्ण हैं। समय के साथ, शिक्षण संस्थानों को एक ऐसे वातावरण की आवश्यकता है जहाँ सभी विद्यार्थियों को समान अवसर मिलें और वे बिना किसी भेदभाव के अपनी क्षमताओं को प्रस्तुत कर सकें।

सामाजिक बदलाव के लिए शिक्षा

संगोष्ठी में यह भी बताया गया कि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। जेंडर सेंसिटाइजेशन पर ध्यान केंद्रित करके, विद्यार्थियों को सामाजिक मुद्दों के प्रति जागरूक किया जा सकता है, जिससे एक बेहतर और समान समाज की स्थापना की जा सके।

संगोष्ठी का समापन

समाज के लिए इस प्रकार की संगोष्ठियों का आयोजन अत्यंत आवश्यक है। यह दर्शाता है कि संस्थान जेंडर समानता के प्रति कितने संवेदनशील हैं। इस संगोष्ठी में उपस्थित विद्यार्थियों और शिक्षकों ने इसका सकारात्मक स्वागत किया और भविष्य में ऐसे आयोजनों की आवश्यकताओं पर भी चर्चा की।

इस खास आयोजन ने न केवल ज्ञानवर्धन किया बल्कि यह भी प्रदर्शित किया कि समावेशी शिक्षण वातावरण की आवश्यकता क्यों है। ऐसे अनुभव छात्रों के व्यक्तित्व को न केवल आकार देते हैं, बल्कि उनके सामाजिक दायित्व को भी बढ़ावा देते हैं।

अधिक जानकारी और अपडेट के लिए, कृपया हमारी वेबसाइट https://youngsindia.com पर जाएँ।

टीम यंग्सइंडिया, साक्षी शर्मा द्वारा

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